लेखनी कहानी -06-Sep-2022... रिश्तों की बदलतीं तस्वीर..(19)
Rkbt 19
घर पहुंचने पर....
हैलो अंकल आंटी.... कैसे हैं आप...।
हम ठीक हैं बेटा... कर आई शांपिग....।
शापिंग तो हम कर आए पापा... पर अभी पहले ये बताइये... आप क्या बताने वाले थे मुझे....!
बेटा.... वो तुम्हारी दादी....
दादी.... क्या हुआ दादी को....!!
हुआ कुछ नहीं बेटा.... तुम्हारी दादी... हंसमुख के साथ चलीं गई हैं...। गाँव में...।
हंसमुख.... कौन हंसमुख....!
बेटा वो तुम्हारे दूर के चाचा हैं...। आज गाँव से यहाँ आए थे.... सालों बाद.... तो दादी ने उनके साथ जाने की बात कहीं...।
अब मैं उन्हें मना तो नहीं कर सकता था बेटा.... इसलिए मैने तुम्हें फोन लगाए की तुम दादी को रोक लो... लेकिन तुमने भी फोन नहीं उठाए तो...।
व्हाट....ऐसा कैसे हो सकता हैं.... दादी मुझसे बिना मिले... मुझे बताए बिना... ऐसे अचानक कैसे जा सकती हैं...।
बेटा तुम तो दादी को यहाँ देखती ही थी... एक ही कमरे में उन्होंने अपनी जिंदगी बसा ली थीं...। ना कई बाहर जाती थीं... ना किसी से मिलने जाती थी...। शायद उन्हें यहाँ का माहौल कभी रास ही नहीं आया...। आज हंसमुख को देखा तो जाने की जिद्द की...।
लेकिन मम्मी.... आपको उन्हें रोकना चाहिए था ना... मेरी सगाई होने वाली हैं... ऐसे कैसे जा सकतीं हैं वो...।
बेटा मैने तो बहुत कहा की सगाई तक ही रुक जाओ पर.... वो नहीं मानी....।
दादी ऐसा कैसे कर सकतीं हैं.. नहीं... नहीं.... वो ऐसे जा ही नहीं सकती...। पापा मुझे अंकल का नंबर दो... मैं अभी दादी से बात करतीं हूँ...।
बेटा हंसमुख के पास मोबाइल नहीं हैं.... और अभी तो वो रास्ते में भी होगा....। उसके घर का नंबर उसने दिया हैं... पर घर पहुंचे फिर ही बात हो पाएगी ना....।
व्हाट....ऐसा कैसे हो सकता हैं...! आज कल तो सबके पास मोबाइल होता हैं.... ।
बेटा.... तो तुम्हें क्या लगता हैं हम झूठ बोल रहे हैं..!
मेरा वो मतलब नहीं हैं पापा...।
अगर ऐसा कुछ होता तो हम तुझे फोन क्यूँ करते....! इतने सालों से दादी हमारे साथ ही थीं ना... कभी देखा हैं तुमने मुझे कुछ ऐसा करते हुवे...।
विनी :- सलोनी.... ये तुम गलत कर रहीं हो.....। तेरे पेरेंट्स को सालों से मैं भी जानती हूँ... वो कभी कुछ गलत नहीं कर सकते...। तुम उन पर इल्जाम लगा कर सही नहीं कर रहीं...।
नहीं यार.... मैं कोई इल्जाम नहीं लगा रहीं... लेकिन मैं दादी को अच्छे से जानती हूँ... वो ऐसे मुझे बिना कुछ बताए... मैं सोच ही नहीं सकती...।
तुमने फोन नहीं उठाए तो जाते जाते... मम्मी ने एक खत तुम्हारे नाम दिया था...।
सुनील ने अपनी जेब से एक पत्र निकालकर सलोनी को देते हुवे कहा :- लो.... शायद इसके बाद तुम्हें विश्वास हो जाए...।
ऐसा कहकर सुनील और सुजाता वहाँ से नाराजगी जताते हुवे ऐसे जाने लगे जैसे उन्हें बहुत दुख हुआ हो...।
सलोनी ने पत्र तो लिया.. लेकिन वो अपने पेरेंट्स को ऐसे देखकर बहुत परेशान भी थीं...।
सच बोलूं यार.... जितना दुख अंकल आंटी को हुआ हैं ना उससे ज्यादा तकलीफ मुझे हुई हैं उनको ऐसे देखकर...। यार हर इंसान की अपनी जिंदगी हैं... अगर तेरी दादी जाना चाहतीं थीं.. चलीं गई ... तो इसमें इस तरह बर्ताव करना... वो भी अपने पेरेंट्स से.. .
सलोनी कुछ बोलती.... खत को पढ़ती.... इससे पहले ही उसे रवि का फोन आया....।
सलोनी ने फोन विनी को देते हुवे कहा... यार इसको बोल मैं बाद में बात करतीं हूँ...।
ये क्या बात हुई यार....उसने कहा था ना पहुँच कर मैसेज करना... वो तो तुने किया नही... अब बात भी नहीं करेगी तो वो परेशान नहीं होगा....!!
यार.... मेरा मूड नही हैं अभी.. प्लीज...।
तो मुड बना ले ना बात करके....। फोन उठा और बात कर...। सबको परेशाका करने का आज कांटरेक्ट साइन किया हैं क्या तुने... ।
क्या सलोनी के सामने कभी सच आ पाएगा...?
Radhika
14-Feb-2023 08:18 AM
Nice
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आँचल सोनी 'हिया'
26-Sep-2022 07:33 PM
Bahut khoob 🙏🌺
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Gunjan Kamal
25-Sep-2022 09:08 AM
शानदार प्रस्तुति 👌🙏🏻
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